इस प्रकार कार्य योजना मौजूदा वन संपदा (भूमि, वनस्पति, जीव एवं जल संसाधन) को जलवायु
और जैविक कारकों का वर्णन करते हुए संरक्षण एवं कुशलता से इस वन संसाधन का दक्षता पूर्वक
उपयोग करने के लिए संरक्षण व प्रबंधन के तरीकों विहित का ब्यौरा रखने वाली एक अनिवार्य
योजना है। इस प्रकार ये योजनायें हर व्यक्ति और एजेंसी के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण
हैं, जो जंगलों को प्रभावित होने से बचाने में कोई रुचि रखता है।
एक बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतों ने और साथ ही वन उपज की बड़े पैमाने पर मांग ने देश
के वनों पर काफी दबाव डाला है। इन मांगों का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार व राज्य
सरकारों ने सामुदायिक भूमि और कृषि भूमि पर, परंपरागत वन क्षेत्र के बाहर के क्षेत्रों
पर वन आवरण का विस्तार करने की कोशिश की है। इस प्रयास के परिणामस्वरूप विभिन्न सामाजिक
वानिकी योजनाएं तैयार व क्रियान्वित की जा रही हैं।
इन गतिविधियों में परामर्श और तकनीकों को शामिल करने वाली कार्य योजनाओं का प्रयास
किया गया है और समय के साथ तालमेल रखने एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक समिति और राज्य
की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया है।
भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय ने रिट याचिका सं. 202/95 दिनांक 12.12.96 में एक फैसले
के तहत, कार्ययोजनाएं तैयार करने के संबंध में अच्छी तरह से परिभाषित दिशा निर्देशों
तैयार किए हैं।यह निर्णय यह अनिवार्य बनाता है कि सभी वन क्षेत्र (स्वामित्व और कानूनी
स्थिति के निरपेक्ष) एक वैज्ञानिक कार्य योजना के अनुसार प्रबंधित किये जाएं।यह निर्णय
यह भी अनिवार्य बनाता है कि सभी कार्य योजनाएं भारत सरकार द्वारा अनुमोदित की जाएं।यह
इस तथ्य के अनुसार है कि जंगल समवर्ती सूची के अधीन हैं।